ब्रह्म
रसायन (Brham Rasayana) के सेवन से समस्त रोग निवृत होकर दिर्धायुकी प्राप्ति होती है; देह सुद्धि होती है,
शरीर बल, स्फूर्ति,
कान्ति, वीर्य,
धारणा शक्ति और ओजकी अति वृद्धि होती है।
देहमे किसी संयोग विरुद्ध पदार्थोंके सेवन जनित विष (Toxin) या अन्य क्षुद्र विषका प्रवेस होनेपर वह कुच्छ भी बाधा नहीं पहुँचा सकता। शास्त्रकारोने विविध प्रकारके रसायन प्रयोग लिखे है। इनमे यह उत्तम प्रकार है।
ब्रह्म रसायन (Brahm Rasayana) ह्रदय, मस्तिष्क, फुफ्फुस, आमाशय (Stomach), यकृत (Liver), प्लीहा (Spleen), वृक्क (Kidney) आदि सब इंद्रियों ( अवयवों ) को सबल बनाकर देहको सुद्ध बनाता है। अति स्त्री समागम और अधिक चिन्तासे जिनके वीर्य और देह निर्बल हो गये हो, उनके लिये यह अति हितावह है।
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मात्रा: आधेसे 4
तोले तक प्रातःकाल सेवन करें। पचन हो जानेपर घी,
दूध और भातका भोजन करें। प्रारम्भमें आधा तोला मात्रा लें। फिर धीरे-धीरे 4 तोलेतक
अग्निबलके अनुसार बढ़ावे। (1 तोला = 11.66 ग्राम)
ब्रह्म रसायन घटक द्रव्य: आंवला, शालपर्णी, पुनर्नवा, जीवंती, नागबला, ब्राह्मी, मंडूकपर्णी, शतावरी, शंखपुष्पी, पिप्पली, बच, वायविदंग, कौंच के बीज, गिलोय, सफेद चंदन, अगर, मुलहठी, महुए के फूल, नीलोफर, कमल, मालती, गुलाब, चमेली के फूल, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, ताम्र भस्म, प्रवाल भस्म, लोह भस्म, शहद और दूध।
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