कासीसादि तैल (Kasisadi Oil) अर्श (बवासीर) पर लगानेसे मस्से मुरझा जाते है। यह तैल गुदाकी वलीको
नुकसान नहीं पहुंचाता। इस तैलको धैर्यपूर्वक 3-4 मास तक लगाते रहना चाहिये।
कासीसादि तेल के द्रव्य दाहनाशक (जलन का नाश करनेवाले), व्रणशोथनाशक (घाव की सूजन का नाश करनेवाले), कृमिनाशक, अर्श (बवासीर) शोषक तथा नाशक, वेदनान्तक (वेदना का शमन करनेवाले) तथा सूजन नाशक हैं। गुदा के बाहर निकले हुए अर्श पर गोमूत्र के साथ कल्क बनाकर इन द्रव्यों का प्रलेप करने से अर्श शुष्क होकर खर सकते है। जिस अर्श रोग में मासांकुर बाहर निकल आयें और शोथ के कारण उनमें वेदना हो अथवा अर्श में वातरक्त या पित्त के विकार के कारण वेदना हो वहां कासिसादि तेल को गुदवलियों पर और अर्श के ऊपर लगाते रहने से वेदना शीघ्र मिट जाती है। पद्धति पूर्वक बनाये जाने पर यह तैल अवश्य शीघ्र फलप्रद सिद्ध होता है।
कासीसादि तेल (Kasisadi Oil) हमारा कई बार का परीक्षित है। इसको लगाने से कुच्छ ही दिनों में बवासीर का दर्द शमन हो जाता है। इसको लगाने से कोई नुकसान नहीं होता।
Ref: शार्गंधर
संहिता
कासीसादि तेल के द्रव्य दाहनाशक (जलन का नाश करनेवाले), व्रणशोथनाशक (घाव की सूजन का नाश करनेवाले), कृमिनाशक, अर्श (बवासीर) शोषक तथा नाशक, वेदनान्तक (वेदना का शमन करनेवाले) तथा सूजन नाशक हैं। गुदा के बाहर निकले हुए अर्श पर गोमूत्र के साथ कल्क बनाकर इन द्रव्यों का प्रलेप करने से अर्श शुष्क होकर खर सकते है। जिस अर्श रोग में मासांकुर बाहर निकल आयें और शोथ के कारण उनमें वेदना हो अथवा अर्श में वातरक्त या पित्त के विकार के कारण वेदना हो वहां कासिसादि तेल को गुदवलियों पर और अर्श के ऊपर लगाते रहने से वेदना शीघ्र मिट जाती है। पद्धति पूर्वक बनाये जाने पर यह तैल अवश्य शीघ्र फलप्रद सिद्ध होता है।
कासीसादि तेल (Kasisadi Oil) हमारा कई बार का परीक्षित है। इसको लगाने से कुच्छ ही दिनों में बवासीर का दर्द शमन हो जाता है। इसको लगाने से कोई नुकसान नहीं होता।
कासीसादि तेल घटक द्रव्य तथा निर्माण विधि (Kasisadi Oil
Ingredients):-कासीस, कलिहारी, कूठ, सोंठ, पीपल, सेधानमक, मनसिल, कन्हेर,
वायविडङ्ग, चीता, वासा,
दन्ती, कडवी तोरई के बीज, धतूरा और हरताल, प्रत्येक द्रव्य 1.25-1.25 तोला ले एवं
सेंहुड (सेड) और आक का दूध 20-20 तोला ले । इनके कल्क तथा 8 सेर गोमूत्र के साथ 2
सेर तैल तैयार करें।
जलीय द्रव्य: गोमूत्र 8 सेर ।
कल्क द्रव्य: कासीस, कलिहारी, कूठ, सोट, पीपल, सेधानमक, मनसिल, कन्हेर,
चायविडङ्ग, चीता, वासा,
कडवी तोरई के बीज, धतूरा और हरताल । प्रत्येक
द्रव्य 1.25-1.25 तोले लेकर सूक्ष्म चूर्ण बनालें और चूर्ण को आक के 20 तोले दूध
और 20 तोले सेहुड के दूध में मिला लें।
तैल-2 सेर (तिलतैल) ले ।
गोमूत्र, कल्क द्रव्यों की पिष्टी
और तैल को एकत्र कर पकावें । जलीयांश सूख जाने पर तैल को उतारकर छानलें और ठण्डा
होने पर प्रयोगार्थ सुरक्षित रक्खें।
Kasisadi
Oil is useful in piles. It should be applied for 3 to 4 months.
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