शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

नवजीवन रस के फायदे / Benefits of Navjivan Ras


यह नवजीवन रस (Navjivan Ras) रोग से क्षीण हुएको नवजीवन देने वाला है। यह दीपन, पाचन, किटाणुनाशक, शुलहर, ह्रद्य (ह्रदय को बल देनेवाला), बल्य, आद्यमानहर (अफरा का नाश करनेवाला), रक्तपौष्टिक, वातनाड़ी (धमनी) पोषक, कामोत्तेजक और वातहर है। विषमज्वर ( मलेरिया ) कुच्छ दिनों तक रह जानेपर देह (शरीर) कृश और निर्बल बन जाता है, तथा रक्तकी न्यूनता, मांसकी शिथिलता, अग्निमांद्य, मलावरोध (कब्ज), अरुचि, उत्साह का अभाव, पेट में वायु संगृहीत होना, मलावरोध होना, अंत्रमें से योग्य रस-रक्त न बनने से रोगी कृश (दुबला) और निस्तेज बन जाता है। उसे नवजीवन रस देनेसे आमाशय (Stomach) का रसस्त्राव (Gastric Juice) और यकृत्तपति का स्त्राव, दोनों बढ़ जाते है, अंत्रकी पुरःसरण क्रिया (मल को आगे धकेलने की क्रिया) तेज होती है, उदर (पेट) की वायु दूर होती है, मलशुद्धि होने लगती है, तथा पाचन क्रिया सुधर जाती है। फिर रस-रक्तादि धातु योग्य बनकर शरीर सुद्ध बन जाता है। अजीर्ण रोगी तुरन्त उपचार न करावे और अपथ्य सेवन करता रहे, तो उदावर्त ( पेट में गेस उठना ) रोगकी संप्राप्ति होती है। फिर अफरा, मलावरोध, निर्बलता आदि लक्षण उपस्थित होते है। इस रोग में भोजन के 1-2 घण्टे बाद चविकासव के साथ नवजीवन रस दिया जाता है।

अपचन पीड़ित कितनेक रोगियों को मंद ज्वर (बुखार) बना रहता है या रोज रात्रिको कुच्छ उत्ताप बढ़ जाता है। उदर में भारीपन और मंद मंद वेदना होती है, शरीर निस्तेज और उत्साहहीन हो जाता है, दिन में 3-4 बार थोड़ा थोड़ा दस्त होता है। फिर भी योग्य उदरशुद्धि नहीं होती। पेसाब में कफ जाता है। शुक्र धातु पतली हो जाती है। द्विदलधान्य ( दाल ) अधिक खाने में आवे तो आध्यमान आ जाता है। धृतवाले पदार्थ अधिक खानेपर अजीर्ण बढ़ जाता है, मूत्र पीला बन जाता है और रात्रिको स्वप्नदोष हो जाता है। एवं गुड-शक्कर वाले पदार्थ खानेसे ज्वर कुच्छ बढ़ जाता है। ऐसे रोगियों को नवजीवन रस (Navjivan Ras) देने से अपचन, मलावरोध और मंद ज्वर आदि विकार दूर होकर शरीर सुद्ध और तेजस्वी बन जाता है।

मात्रा: 1 से 2 गोली नागरबेल के पानमें अथवा चविकासव या गोदुग्धके साथ दिनमें दो बार।

घटक द्रव्य (Navjivan Ras Ingredients): रससिंदूर, अभ्रक भस्म, लोह भस्म, शुद्ध कुचीला और चित्रकमूल, ये सब 2-2 तोले और त्रिकटु (सोंठ, कालीमिर्च और पीपल) 4 तोले मिला, चित्रकमूल का क्वाथ, अदरक का रस और नगरवेल के पानों का रस, इन तीनों के साथ क्रमशः 12-12 घंटे खरल करके आध आध रत्ती की गोलियां बना लेवें। 

Ref: र. यो. सा. (रसयोग सार)

Navjivan Ras is useful to recover from long term illness. It is digestive, carminative and supports blood production. 
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