यह फलधृत स्त्री और
पुरुष, दोनोके लिये हितकर है। धातुदोष, रजदोष और गर्भाशय के दोषोंको दूर करता है। बंध्याको
पुत्रकी प्राप्ति होती है, और जिनको बच्चा होकर मर जाता हो उसकी
सन्तति नीरोग होती है। जिसको बार-बार कन्या ही जन्मती हो; जिसको गर्भ रहकर बार-बार नष्ट होजाता हो; जो स्त्री मृत संतान या अल्पायु संततिको उत्पन्न करती
हो, वह यदि इस धृतका सेवन करे, तो दिर्धायु और नीरोग पुत्रको जन्म देनेमे समर्थ होती
है। संक्षेपमे गर्भाशयदोषकी निवृत्यर्थ यह धृत अत्युत्तम है।
मात्रा: 1 से 2
तोले (1 तोला = 11.6638 ग्राम) रोज सुबह सेवन करें।
वाकई में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यह फलधृत निराशा को आशा में बदल देती है
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