प्रभाकर वटी (Prabhakar Vati) से
ह्रदय-शुल (ह्रदय में वेदना), ह्रदयकी धड़कन, ह्रदय के आवरण का दाह (जलन) आदि ह्रदय के सब दोष दूर होकर
ह्रदय बलवान बनता है, एवं पित्त-कास (पित्त की खांसी), दाह, खट्टी डकार, मंदाग्नि, चक्कर आना,
शरीर की निस्तेजता आदि विकार भी नष्ट होते है।
अग्निमांद्य, रक्त की न्यूनता, रक्त की निर्बलता, वातवाहिनियों की विकृति,
मानसिक आघात, वृक्कविकार (Kidney Disorder), वात या पित्त दोष प्रकृति होना, विषमज्वर (Malaria) या अन्य संक्रामक व्याधिया आदि कारणो से
ह्रदय अशक्त होजानेपर प्रभाकर वटी (Prabhakar Vati) का अच्छा उपयोग होता है। इससे घबराहट, धड़कन, दाह आदि दूर होकर ह्रदय बलवान बनजाता है।
उत्साह, कांति,
स्फूर्ति, बल और वीर्य की वृद्धि होती है।
मात्रा: 1 से 2
गोलीतक दिन मे दो बार शहद के साथ लेवे। ऊपर दूध अथवा अर्जुनछाल का क्वाथ पिवें।
Prabhakar Vati strengthens the heart and cures heart problem.
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प्रभाकर वटी घटक द्रव्य
तथा निर्माण विधि (Prabhakar Vati Ingredients): सुवर्ण माक्षिक भस्म, लोह भस्म,
अभ्रक भस्म, वंशलोचन,
शुद्ध शिलाजीत, सबको समभाग मिलाकर अर्जुन की छाल के क्वाथ
में 3 दिन तक खरल करके 2-2 रत्ती की गोलियां बनवें।
Ref: भैषज्य रत्नावली
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