वीर्यशोधन वटी (Viryashodhan Vati) शुक्र में रहे हुए दूषित घटको का शोधन करती है, उष्णता (गर्मी) का शमनकर स्तंभनशक्ति को बढ़ाती है, तथा शुक्राशय और शुक्रवाहिनी के वातप्रकोप और
शिथिलता को दूर करती है।
वीर्यशोधन वटी (Viryashodhan Vati) से सब प्रकार के प्रमेह, धातुदोष, मूत्ररोग,
निर्बलता आदि विकार दूर होकर शक्ति की वृद्धि होती है।
शुक्रमेह, अधिक स्त्री सहवास,
हस्तमैथुन अथवा स्वप्नदोषादी कारणो से वीर्य का अति क्षय (कम होना) हुआ हो और पतला हो गया हो, तो वीर्यशोधन वटी का सेवन गिलोय, गोखरू और आंवले के क्वाथ के साथ करना चाहिए। एवं मलवरोध
करनेवाले (कब्ज करने वाले) भोजन का त्याग करना चाहिये।
वीर्य शुद्ध होनेके पश्चात
आवश्यकता रहे तो वीर्यवर्धक औषधि शतावर्यादि चूर्ण,
कौंच पाक या वसंतकुसुमाकर रस का सेवन करना चाहिये।
वीर्यशोधन वटी (Viryashodhan Vati) में मिला
हुआ रौप्य रसायन, पूय (Puss)-किटाणुनाशक, वृक्क (Kidney) बलवर्धक और शुक्र (वीर्य)शोधन गुण दर्शाता है। यह
शुक्रोत्पादक स्थान और शुक्राशय को पुष्ट करता है तथा शुक्र (वीर्य)को भी सबल बनाता
है। प्रवाल और माक्षिक
दोनों शीतवीर्य है। इनमें प्रवाल अस्थि (हड्डी) पोषक और मक्षिक रक्तपौष्टिक है। शिलाजीत
रसायन, विकृतिनाशक और बल्य है। गिलोय सत्व शीतवीर्य
और त्रिदोषनाशक होने से वीर्य को शीतल, शुद्ध और सबल बनाता है। कपूर किटाणु और विष
का नाशक, बल्य और शामक है।
मात्रा: 1से 2
गोली दिनमे 2 बार दूधके साथ दे।
वीर्यशोधन वटी घटक द्रव्य (Viryashodhan Vati Ingredients): चाँदी के वर्क, वंग भस्म, प्रवाल पिष्टी, शुद्ध शिलाजीत और गिलोय
सत्व सब 1-1 तोला तथा कपूर 3 माशे।
सूचना: प्रवाल पिष्टी के स्थान पर सुवर्णमाक्षिक भस्म मिलानेपर उष्णता को शांत करने में विशेष गुण दर्शाती है।
Ref: रसतंत्र सार
सूचना: प्रवाल पिष्टी के स्थान पर सुवर्णमाक्षिक भस्म मिलानेपर उष्णता को शांत करने में विशेष गुण दर्शाती है।
Ref: रसतंत्र सार
Viryashodhan Vati is useful to purify the semen and increase sperm count. It is also an aphrodisiac medicine and cures spermatorrhoea and impotency acquired due to masturbation.
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