विश्वतापहरण रस सब
प्रकारके विषमज्वर (malaria), धातुगत ज्वर, अपचनजनित ज्वर, जीर्णज्वर,
द्वंदज्वर, वातज्वर और कफज्वरको दूर करनेमे अति
उपयोगी है। अनेक दिनोतक स्थिर रहने वाले ज्वर (बुखार) इससे थोड़े ही दिनो मे चले
जाते है। नूतन (नये) और जीर्ण (पुराने)ज्वर (Fever) जिनमे शीत रहती है उन ज्वारोंमे इससे
सत्वर (जल्दी) लाभ होता है। मुद्दती ज्वर, जो रस-रक्त मांस आदि धातुओके आश्रित होता
है, उन सबको सम्पूर्ण उपद्रवों सहित थोड़े ही
दिनोमे दूर कर देता है। यकृत (liver)-प्लीहा (spleen)
वृद्धिको कम करता है, कच्चे आम (toxin)को जलाता है; पाचनक्रियाको बढ़ाता है; और विषमज्वर
(Malaria)के किटाणुओको नष्ट कर
ज्वरको निवृत करता है।
मलेरियाके कितने
ही रोगी बार-बार क्विनाइन लेते है। फिर क्विनाइन लेते हुए ज्वर निवृति नहीं होती।
4-8 रोजमे पुनः पुनः मलेरिया आता रहता है। किसी-किसीको क्विनाइन लेनेपर निद्रानाश, मुत्रोत्पत्तिका ह्रास,
घबराहट, रक्तस्त्राव आदि उपस्थित होते है एसे
रोगियोको इस रसायनके सेवनसे लाभ जो जाता है।
मात्रा: 1 से 2
गोली जीरा-मिश्री 6-6 रत्तीके साथ दे।
1 रत्ती = 121.5 mg
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